योग सही करे जीवन की दिशा

योग सही करे जीवन की दिशा

कहते हैं कि शरीर जितना लचीला हो, उतना अच्छा होता है। शरीर लचीला होने पर रोग आदि भी कम होते हैं, और आप एक्टिव भी बने रहते हैं। आप लचीलेपन को बढ़ाने के लिए योग की मदद ले सकते हैं।

यह तो सभी जानते हैं कि नियमित योग करना सेहत के लिए कितना फायदेमंद और जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं योग के माध्यम से आप कमाल का लचीला बदन भी प्राप्त कर सकते हैं। 

शरीर जितना लचीला हो उतना अच्छा होता है। शरीर लचीला होने पर आप हमेशा स्वस्थ तथा ऊर्जावान बने रहते हैं और छोटी मोटी बीमारिया आपको छू भी नहीं पाती। बुढ़ापा आपसे कोसों दूर रहता है। नियमित योग करने से मोटापा दूर होता है और पाचन तंत्र संबंधी रोग नहीं होते। साथ ही हाथों और पैरों का दर्द दूर होकर उनमें सबलता आती है। नियमित व्यायाम और योग से कर लचीला शरीर पा कर गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां भी सशक्त होता हैं। शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हलका-फुलका हो जाता है।

शरीर को लचीला बनाने के लिए योग

शरीर को लचीला बनाने के लिए आम आपको कुछ व्यायाम और योग बता रहे हैं। इसकी शुरुआत करने के लिए ज्यादा अच्छा होगा कि आप प्ररम्भ में सिर्फ सूर्य नमस्कार और प्राणायाम का ही अभ्यास करें। फिर निम्न में से कम से कम तीन आसनों का चयन कर उनका नियमित अभ्यास करें। सिर्फ दो माह में परिणाम आपको दिखाई देने लगते हैं। 

प्रतिदिन सुबह उठ कर सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें। कपालभाति और भस्त्रिका के साथ ही अनुलोम-विलोम करें। इसके लिए आप आकर्ण धनुरासन, नटराज आसन, गोमुखासन, हलासन आदि कर सकते हैं।

गोमुखासन

गोमुखासन करने के लिए पहले दंडासन अर्थात दोनों पैरों को सामने सीधे एड़ी-पंजों को मिलाकर बैठ जाएं। अब हाथ कमर से सटे हुए और हथेलियां भूमि टिकी हुई रहें। नजरें सीधे सामने हों। अब बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें, फिर दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से छुलाते हुए रखें। इस स्थिति में दोनों जंघाएं एक-दूसरे के ऊपर आ जाएंगी और एक त्रिकोणाकार जैसा बन जाएगा। 

अब श्वास भरते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर व दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की तक ले जाएं। साथ ही बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजें को पकड़े। गर्दन व कमर को सीधी ही रखें। अब एक ओर करने के बाद दूसरी ओर से इसी प्रक्रिया को दोहराएं। फिर कुछ देर बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथों के लाक को खोल दें और क्रमश: पुन: दंडासन की स्थिति में आ जाएं। फिर दाएं पैर को मोड़कर तथा दाहिने हाथ को उपर से पीछे ले जाकर इसे करें तो एक चक्र पूरा होगा।

लेकिन ध्यान रहे कि अगर हाथ, पैर और रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन कतई न करें। और जबरदस्ती पीठ के पीछे हाथों के पंजों को पकड़ने का प्रयास न करें।

नटराज आसन

नटराज आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। फिर दाएं पैर को पीछे ले जाकर जमीन से ऊपर उठाएं। इसके बाद उसे घुटने से मोड़कर उस पैर के पंजे को दाएं हाथ से पकड़ें। फिर दाएं हाथ से दाएं पैर को अधिकतम ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें। बाएं हाथ को सामने की ओर ऊपर उठाएं। इस दौरान सिर को ऊपर की ओर उठा कर रखें। अब 3 सेकंड के बाद वापस पहली वाली स्थिति में आ जाएं। फिर इसी क्रिया को दूसरे पैर से करें।

हलासन

हलासन करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाएं अब अपने दोनों हाथों को समानांतर जमीन से सटाकर रखें। अब दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें व एड़ी व पंजों को भी मिलाकर रखें। इसके बाद दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। हाथों को सीधा जमीन पर ही टिका रहने दें। इस स्थिति में आने के बाद ठोड़ी सीने के ऊपर के भाग (गले की ओर) पर लग जाती है। हलासन की पूरी स्थिति में आ जाने के बाद 8 से 10 सैकेंड तक इसी स्थिति में रहें और सांस को स्वाभाविक रूप से लेते व छोड़ते रहें। इसके बाद फिर वापस सामान्य स्थिति में आने के लिए घुटनों को बिना मोड़े ही गर्दन व कंधों पर जोर देकर धीरे-धीरे पैरों को पुन: अपनी जगह पर लाएं। हो गया हल आसन।

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