पातंजल-महाभाष्य-चरकप्रतिसंस्कृतै:। मनोवाक्कायदोषाणां हन्त्रेऽहिपतये नम:।।

पातंजल-महाभाष्य-चरकप्रतिसंस्कृतै:।
मनोवाक्कायदोषाणां हन्त्रेऽहिपतये नम:।।





अर्थ- योगसूत्र, महाभाष्य तथा चरक संहिता का प्रतिसंस्करण इन कृतियों से, क्रमश: मन, वाणी एवं देह के दोषों का निरसन करने वाले पतंजलि को मैं नमस्कार करता हूँ।

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