अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस ( International Yoga Day )

योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है।भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्णमहावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतंजली ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया।

गीता में लिखा है ,  “योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है। “

पतंजली योग दर्शन के अनुसार –  योगश्चित्तवृत्त निरोधः

अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

योग 5,000 साल पुरानी भारतीय शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक पद्धति है, जिसका लक्ष्य मानव शरीर और मस्तिष्क में सकारात्मक परिवर्तन लाना है।

21 जून ही क्यों

21 जून पूरे कैलेंडर वर्ष का सबसे लम्बा दिन है। प्रकृति, सूर्य और उसका तेज इस दिन सबसे अधिक प्रभावी रहता है।बेंगलुरू में 2011 में पहली बार दुनिया के अग्रणी योग गुरुओं ने मिलकर इस दिन 'विश्व योग दिवस' मनाने पर सहमति जताई थी।

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, योग हमारे लिये हर तरह से आवश्यक है। यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है। योग के माध्यम से आत्मिक संतुष्टि, शांति और ऊर्जावान चेतना की अनुभूति प्राप्त होती है, जिससे हमारा जीवन तनाव मुक्त तथा हर दिन सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढता है। हमारे देश की ऋषि परंपरा योग को आज विश्व भी अपना रहा है। जिसका परिणाम है कि 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस ( International Yoga Day ) के रूप में मनाया जाता है।

पुरे विश्व में योग दिवस के उपलश में किये जाने वाले योग के लाभ
प्राचीन जीवन पद्धति लिये योग, आज के परिवेश में हमारे जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं। आज के प्रदूषित वातावरण में योग एक ऐसी औषधि है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, बल्कि योग के अनेक आसन जैसे कि, शवासन हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है, जीवन के लिये संजीवनी है कपालभाति प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम मन को शांत करता है, वक्रासन हमें अनेक बीमारियों से बचाता है। आज कंप्यूटर की दुनिया में दिनभर उसके सामने बैठ-बैठे काम करने से अनेक लोगों को कमर दर्द एवं गर्दन दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है, ऐसे में शलभासन तथा तङासन हमें दर्द निवारक दवा से मुक्ति दिलाता है। पवनमुक्तासन अपने नाम के अनुरूप पेट से गैस की समस्या को दूर करता है। गठिया की समस्या कोमेरूदंडासन दूर करता है। योग में ऐसे अनेक आसन हैं जिनको जीवन में अपनाने से कई बीमारियां समाप्त हो जाती हैं और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है। 24 घंटे में से महज कुछ मिनट का ही प्रयोग यदि योग में उपयोग करते हैं तो अपनी सेहत को हम चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं। फिट रहने के साथ ही योग हमें पॉजिटिव एर्नजी भी देता है। योग से शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता का विकास होता है।

योग आर्टिस्ट ग्रुप के बच्चे जिसमें एस डी पब्लिक स्कूल, पीतम पूरा एवं अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ के छात्र एवम् छात्राएं भी इस दिन की तैयारी में जुटे हैं।

एस डी पब्लिक स्कूल के बच्चों ने अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवम् स्टेट लेवल पर अपनी योग की शक्ति से पहचान बनाई है। एस डी पब्लिक स्कूल एवम् अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ के बच्चे दूरदर्शन के शो ''मेरी आवाज़ सुनो'' का हिस्सा भी रह चुके हैं।
हर वर्ष स्टेट स्तर ,राष्ट्रीय स्तर के योग के खिलाड़ी इस ग्रुप से निकलते हैं और योग की गरिमा को और ऊंचा करते हैं।

ग्रुप की ख़ास बात (भारत की पहली दिव्यांग बच्चों की टीम जो अक्रो योग करती है)

इस ग्रुप की ख़ास बात यह है कि इसमें दिव्यांग बच्चे जो  भले ही अपनी आखों से देख नहीं पाते परन्तु वो दुनियां को अपनी योग शक्ति से बताना चाहते हैं कि योग पुरे विश्व को योग दिवस पर ही नहीं अपितु हर रोज़ करना चाहिए।

योग करने से दिव्यांग बच्चों में जहाँ आत्मविश्वास बड़ा है वहीं दूसरी तरफ चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन जैसे कई रोगों से निजाद भी मिली है।

हेमंत शर्मा योग गुरु : इन सभी बच्चों को योग सिखाने वाले श्री हेमंत शर्मा का कहना है कि 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाना एक सराहनीय कदम है। योग को किसी भी पहचान की ज़रूरत नहीं है परंतु योग दिवस के माध्यम से जो लोग योग को अच्छे तरीके से नहीं जानते थे वो भी योग की शक्ति को समझ चुके हैं।

हेमंत शर्मा का कहना है कि योग कोई भी कर सकता है और ये बात उनके दिव्यांग बच्चों ने साबित करके दिखायी है।

योग आर्टिस्ट ग्रुप की टैग लाइन है KNOW YOGA KNOW LIFE अर्थात योग को जानें जिंदगी को जानें।
हमारे आस-पास ऐसे अनेक कारण विद्यमान हैं जो तनाव, थकान तथा चिड़चिड़ाहट को जन्म देते हैं, जिससे हमारी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसे में जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाये रखने के लिये योग एक ऐसी रामबाण दवा है जो, माइंड को कूल तथा बॉडी को फिट रखता है। योग से जीवन की गति को एक संगीतमय रफ्तार मिल जाती है।

हेमंत शर्मा का कहना है कि हर बच्चे को योग से जुड़ना चाहिए जिससे एक ऐसे विश्व का निर्माण होगा जहाँ सभी रोगमुक्त होंगे।

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