Matkaa

मटके के पानी में हैं बड़े गुण.. जानकर चौंक
जाएंगे आप!
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आयुर्वेद में मटके के पानी को शीतल, हल्का,
स्वच्छ और अमृत के समान माना गया है। यह
प्राकृतिक जल का स्रोत है जो ऊष्मा से
भरपूर होता है और शरीर की गतिशीलता
को बनाए रखता है।
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मटके की मिट्टी कीटाणुनाशक होती है
जो पानी में से दूषित पदार्थों को साफ
करने का काम करती है।
इस पानी को पीने से थकान दूर होती है।
इसे पीने से पेट में भारीपन की समस्या भी
नहीं होती। रक्त बहने की स्थिति में मटके
के पानी को चोट या घाव पर डालने से
खून बहना बंद हो जाता है।
सुबह के समय इस पानी के प्रयोग से हृदय व
आंखों की सेहत दुरुस्त रहती है।
गला, भोजन नली और पेट की जलन को दूर
करने में मटके का पानी काफी उपयोगी
होता है।
जिन लोगों को अस्थमा की समस्या हो
वे इस पानी का प्रयोग न करें क्योंकि
इसकी तासीर काफी ठंडी होती है
जिससे कफ या खांसी बढ़ती है। जुकाम,
पसलियों में दर्द, पेट में आफरा बनने की
स्थिति व शुरुआती बुखार के लक्षण होने पर
मटके का पानी न पिएं।
तली-भुनी चीजें खाने के बाद यह पानी न
पिएं वर्ना खांसी हो सकती है। मटके का
पानी रोजाना बदलें। लेकिन इसे साफ करने
के लिए अंदर हाथ डालकर घिसे नहीं वर्ना
इसके बारीक छिद्र बंद हो जाते हैं और
पानी ठंडा नहीं हो पाता।
हमारा शरीर भी मिट्टी का है अतः मिट्टी का सदुपयोग करे ।

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